Thursday, July 24, 2008

करता हूँ मैं अपनी............

करता हूँ मैंअपनी
सारी कुंठायें पूरी
स्वप्न में
जो नहीं हूँ
हो जाता हूँ
जो प्राप्त नहीं किया है
कर लेता हूँ
खों जाता हूँ
एक सुखद अनुभूति मैं
और देता हूँ उत्तर
उन्हें
जिन्होंने मेरे अस्तित्व पर घात किया
ख़ुद से मुझे

छीनने का प्रयास किया
करता हूँ अनुभव
हर उन लम्हों का
जब मैं अपने सूक्ष्म को
विराट मैं बदलते देखता हूँ
हर लक्ष्य को
कदमों में
और देखता हूँ
अपने हाथ की
उन धुंधली होती हुई रेखाओं को
जिन्होंने मेरे
अजेय जीवन पथ को
धुंधला घोषित कर दिया


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