Thursday, July 24, 2008

हर ग़म के दर्द सहने से ..............

हर ग़म के दर्द सहने से सजती है ज़िन्दगी
अश्कों को हंस के पीने से खिलती है ज़िन्दगी

मांगे से कब मिली है ज़माने की उल्फ़ते
खुद को बुलंद करने से मिलती है ज़िन्दगी

जो थम गए मुकाम की राहों को देखकर
हर साँस मे इक आश से चलती है ज़िन्दगी

अजमाते है जो खुद को ही हर एक मोड पर
ऐसे ही हौंसलों से निखरती है ज़िन्दगी

जज़्बों को जिंदा रख के जो चलते चले गए
सजदे उन्ही के दर पे ही करती है ज़िन्दगी

1 comment:

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hi
nice poems ,i must say you area good poet ,i wish you'll post some more poems